
जातिगत जनगणना पर बहस तेज़: कांग्रेस ने मोदी सरकार से मांगे तीन बड़े सुधार, तेलंगाना मॉडल अपनाने का आग्रह !
नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में सुरक्षा और सामाजिक न्याय को लेकर चर्चा तेज़ हो गई है। इसी बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जातिगत जनगणना के मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया है। उन्होंने तेलंगाना मॉडल अपनाने, आरक्षण की 50% सीमा हटाने और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने की मांग की है।
क्या है तेलंगाना मॉडल?
खड़गे ने अपने पत्र में कहा कि जातिगत जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल को अपनाया जाए। इस मॉडल के तहत, जाति से जुड़े आंकड़े न केवल गिनती के लिए, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एकत्र किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जनगणना की प्रश्नावली को इस तरह डिज़ाइन किया जाना चाहिए कि हर जाति की शैक्षिक, आर्थिक और रोज़गार स्थिति का सही आकलन हो सके।
आरक्षण की 50% सीमा खत्म करने की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष ने संविधान में संशोधन करके आरक्षण की 50% सीमा हटाने की भी मांग की। उनका कहना है कि यह सीमा मनमानी है और इसे खत्म करके अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए अधिक आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने तमिलनाडु मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्यों द्वारा पारित आरक्षण कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने की मांग
खड़गे ने अनुच्छेद 15(5) को तुरंत लागू करने की भी मांग की, जो निजी शिक्षण संस्थानों में SC, ST और OBC छात्रों के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इस अनुच्छेद को वैध ठहराया था, लेकिन अभी तक इसे पूरी तरह लागू नहीं किया गया है।
कांग्रेस का आरोप – मोदी सरकार ने किया ‘यू-टर्न’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने खड़गे के पत्र को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर अचानक यू-टर्न लिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लंबे समय से इसकी मांग कर रही थी, लेकिन सरकार ने इसे राजनीतिक हथियार बनाया।
क्या होगा अगला कदम?
अब सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार कांग्रेस के इन सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगी? जातिगत जनगणना के परिणाम आने के बाद राजनीतिक बहस और तेज़ हो सकती है। साथ ही, आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक मोर्चा खुल सकता है।