
“दिल्ली में अप्रैल 2025 के राशन वितरण में भयावह देरी! NIC की ‘क्लाउड खेल’ से लाखों परिवारों के सामने भूख का संकट, FPS दुकानों पर अफरा-तफरी!”
नई दिल्ली, — राजधानी दिल्ली के गरीबों और मजदूर वर्ग के लिए अप्रैल महीना भयानक शुरुआत लेकर आया है। NIC-हैदराबाद की तकनीकी जंग में फंसकर SMART-PDS सिस्टम के माइग्रेशन ने अप्रैल 2025 के राशन वितरण को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया है। NIC के 25 मार्च के ईमेल के अनुसार, 31 मार्च से एनडीसी शास्त्री पार्क से मेघराज क्लाउड में सिस्टम ट्रांसफर का काम शुरू होगा, जिसके चलते 3-4 दिन तक ePOS पोर्टल और ऑनलाइन सेवाएं बंद रहेंगी!
क्या है माजरा?
प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि सिस्टम माइग्रेशन के बाद DNS मैपिंग में अतिरिक्त 48 घंटे लगेंगे। यानी, दिल्ली की 2,000 से अधिक फेयर प्राइस शॉप्स (FPS) पर अप्रैल के पहले सप्ताह तक राशन का एक दाना भी उपलब्ध नहीं होगा। यह देरी BPL कार्डधारकों, वृद्ध पेंशनभोगियों और दैनिक मजदूरों के लिए जीवन-मृत्यु का सवाल बन गई है।
जनता का गुस्सा फटा:
दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके की रहने वाली मीना देवी ने आवाज बुलंद की: “साहब, हमारे बच्चों का पेट कंप्यूटर के ‘क्लाउड’ में नहीं चलता! ये सरकारी बाबू अगर एक दिन भूखे रहें, तो समझ आए।”
एक FPS मालिक राजेश गुप्ता ने कहा: “हर महीने यही ड्रामा! पिछले साल सर्वर डाउन, इस बार क्लाउड… जनता को भूखा रखने का नया बहाना।”
सरकार vs विपक्ष: जंग छिड़ी!
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सaurabh भारद्वाज ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा: “दिल्ली की जनता को भूखों मरवाने की साजिश है! NIC हैदराबाद में बैठकर दिल्ली का सिस्टम क्यों संभाल रही है? यह दिल्ली के अधिकारों का हनन है!”
वहीं, केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने जारी किया बयान: “तकनीकी अपग्रेडेशन जरूरी था। हम 7 अप्रैल तक सभी सेवाएं बहाल कर लेंगे। लोगों से धैर्य रखने की अपील करते हैं।”
क्यों है चिंता की बात?
दिल्ली में 70 लाख से अधिक लोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर निर्भर हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अप्रैल में स्कूलों के मिड-डे मील और आंगनवाड़ी केंद्रों का राशन भी इस देरी से प्रभावित होगा। साथ ही, गर्मी के मौसम में अनाज की कमी से महंगाई बढ़ने का खतरा भी मंडरा रहा है।
अपडेट:
खाद्य विभाग ने सभी FPS मालिकों को एसएमएस अलर्ट भेजकर दुकानों पर सूचना पत्र चिपकाने के निर्देश दिए हैं।
अंतिम पंक्ति:
“जब सिस्टम ‘क्लाउड’ में उड़ता है, तो गरीब का चूल्हा ठंडा हो जाता है! दिल्ली की सियासत अब ‘रोटी’ के सवाल पर टिकी है।”