
भारत ने चिनाब नदी का पानी रोका, पाकिस्तान में खरीफ सीजन को लेकर चिंता बढ़ी – IRSA ने जताई आशंका
इस्लामाबाद: भारत ने चिनाब नदी और पाकिस्तान की ओर बहने वाली अन्य नदियों के प्रवाह पर रोक लगा दी है, जिसके कारण पाकिस्तान की इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) ने गहरी चिंता जताई है। IRSA की सलाहकार समिति ने सोमवार को चिनाब नदी के प्रवाह में अचानक आई कमी पर चिंता व्यक्त की है, जो भारत द्वारा पानी की आपूर्ति सीमित करने के कारण मराला बैराज पर देखी गई।
IRSA के एक बयान के अनुसार, इस कदम से पाकिस्तान के खरीफ सीजन की शुरुआत में 21% पानी की कमी हो सकती है, जिससे कृषि और पीने के पानी की आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
भारत-पाकिस्तान जल विवाद: क्या है पूरा मामला?
सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty 1960) के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ था। इस समझौते के अनुसार, सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का अधिकांश पानी पाकिस्तान के हिस्से में आता है, जबकि रावी, ब्यास और सतलज नदियों पर भारत का अधिकार है। हालांकि, भारत ने हाल के दिनों में चिनाब नदी पर बांध बनाकर पानी रोकना शुरू कर दिया है, जिससे पाकिस्तान में जल संकट पैदा हो गया है।
IRSA ने कहा, “भारत की तरफ से पानी की कम आपूर्ति के कारण मराला बैराज पर चिनाब नदी के प्रवाह में अचानक गिरावट आई है, जिससे खरीफ सीजन की शुरुआत में और अधिक कमी होगी।”
खरीफ सीजन पर पड़ सकता है बुरा असर
खरीफ सीजन (Kharif Season) पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मौसम में चावल, कपास, गन्ना और मक्का जैसी फसलों की बुवाई की जाती है। अगर भारत पाकिस्तान की ओर बहने वाली नदियों पर नियंत्रण कड़ा करता रहा, तो पाकिस्तान को इस सीजन में पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।
IRSA के अनुसार, अगर यह स्थिति जारी रही, तो पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में किसानों को भारी नुकसान होगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था (Economy of Pakistan) पर गहरा असर पड़ेगा।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: क्या होगा अगला कदम?
पाकिस्तान सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और भारत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की धमकी दी है। पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय (Ministry of Water Resources Pakistan) ने कहा कि वह विश्व बैंक (World Bank) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से हस्तक्षेप करने की अपील कर सकता है, क्योंकि सिंधु जल समझौते का उल्लंघन हो रहा है।
हालांकि, भारत का कहना है कि वह समझौते के नियमों का पालन कर रहा है और केवल अपने हिस्से का पानी रोक रहा है। भारत सरकार ने कहा है कि वह जल संरक्षण (Water Conservation) और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स (Hydro Power Projects) के लिए अपने अधिकारों का उपयोग कर रहा है।
क्या है सिंधु जल समझौता? (Indus Water Treaty Explained in Hindi)
सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, जिसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी। इस समझौते के तहत:
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पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब): पाकिस्तान को अधिकार
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पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलज): भारत को अधिकार
हालांकि, भारत को पश्चिमी नदियों पर सीमित उपयोग की अनुमति है, जैसे कि बिजली उत्पादन (Hydroelectric Power) के लिए बांध बनाना, लेकिन पानी को रोकने का अधिकार नहीं है।
भारत ने क्यों रोका पानी?
भारत सरकार का कहना है कि वह जल संकट (Water Crisis) और बिजली उत्पादन (Electricity Generation) के लिए अपने संसाधनों का उपयोग कर रहा है। हाल के वर्षों में, भारत ने चिनाब नदी पर किशनगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (Kishanganga Hydroelectric Project) और अन्य बांधों का निर्माण किया है, जिससे पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
पाकिस्तान का आरोप है कि भारत समझौते का उल्लंघन (Violation of Indus Treaty) कर रहा है, जबकि भारत का दावा है कि वह अपने अधिकारों का ही प्रयोग कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: क्या कहता है विश्व बैंक?
विश्व बैंक ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से अब तक इनकार किया है। हालांकि, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) और अन्य वैश्विक संगठनों से मदद मांगी है। अगर यह विवाद बढ़ता है, तो यह द्विपक्षीय संबंधों (India-Pakistan Relations) को और खराब कर सकता है।
निष्कर्ष: क्या होगा भविष्य में?
यह जल विवाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का एक नया कारण बन सकता है। अगर भारत पानी की आपूर्ति और कम करता है, तो पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था (Agricultural Economy) को भारी नुकसान होगा। दूसरी ओर, भारत का कहना है कि वह अपने नागरिकों के लिए पानी और बिजली की demand पूरी करने के लिए यह कदम उठा रहा है।
इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता (International Mediation) ही एकमात्र समाधान हो सकता है, लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है।