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Kuch Kuch Hota Hai Controversy: करण जौहर की फिल्म ‘कुछ-कुछ होता है’ बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्मों में शामिल है. इसकी गिनती हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिकल फिल्मों में भी की जाती है. करण जौहर ने एक पॉडकास्ट में इस फिल्म को लेकर कहा है कि फिल्म बनाते समय उन्होंने इसके सोशल इम्पैक्ट के बारे में सोचा नहीं था. उनका ध्यान सिर्फ एक ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाने में था.
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ के कई सीन्स को लेकर लोगों ने सवाल उठाए थे. लोगों ने इस फिल्म को एक रेड फ्लैग और टॉक्सिक फिल्म भी बताया था. अब लिली सिंह के साथ एक पॉडकास्ट में फिल्म के प्रोड्यूसर करण जौहर ने खुद ये बात कबूल की है कि फिल्म के कुछ सीन देखकर उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है.
‘बस एक बहुत बड़ी हिट बनाना चाहता था’
करण जौहर ने कहा- ‘मैं सिर्फ अपने पिता यश जौहर को एक ब्लॉकबस्टर फिल्म देना चाहता था. मेरे पिता एक चहेते व्यक्ति थे लेकिन वो एक प्रोड्यूसर भी थे जिन्होंने कई असफल फिल्में बनाई थीं. उनमें से पांच लगातार असफल रहीं. मैं उनके लिए बस एक बहुत बड़ी हिट बनाना चाहता था. मैं 24 साल का था जब मैंने कुछ कुछ होता है लिखी. प्रोड्यूसर का बेटा होने के नाते मैं बॉक्स ऑफिस के बिजनेस को समझते हुए बड़ा हुआ. मुझे ये भी पता है कि हमारे देश में अलग-अलग तरह के दर्शक हैं.’
करण जौहर ने ही लिखे थे फिल्म के डायलॉग
करण जौहर ने आगे कहा- ‘जब मैं अपनी पहली फिल्म को देखता हूं तो लोगों ने जो उसे प्यार दिया है उस पर मुझे गर्व होता है. लेकिन मैं जेंडर पॉलिटिक्स, कुछ डायलॉग और क्रिंज मोमेंट पर भी सवाल उठाता हूं. अब जब मैं उन सीन्स को देखता हूं तो सोचता हूं कि उस वक्त मैं क्या सोच रहा था? मैं यंग था और सिनेमा में नया था. वो किरदार मैंने लिखा था क्योंकि मैं डायलॉग लिख रहा था. वो एक हॉट लड़की के प्यार में पड़ गया और फिर जब वो लड़की जो उसे पसंद नहीं थी वो हॉट हो गई. तो वो उससे प्यार करने लगा. क्या वो सिर्फ दिखावटी सुंदरता के पीछे भाग रहा था?’
जेंडर पॉलिटिक्स को लेकर करण जौहर ने दी राय
फिल्म मेकर कहते हैं- ‘ये सब मैंने ही लिखा था. मुझे उस समय एहसास नहीं हुआ कि मैं एक खास विचारधारा को बढ़ावा दे रहा था. मैं बस एक ब्लॉकबस्टर बनाना चाहता था.’ फिल्म इंडस्ट्री में जेंडर पॉलिटिक्स के बारे में बात करते हुए करण जौहर कहते हैं- ‘हमें अपनी राजनीति सही करनी होगी. मैं ये नहीं कह रहा कि हमेशा मनोरंजन करें. सिनेमा का मकसद बड़े पैमाने पर मनोरंजन, बढ़िया विजुअल, दर्शकों को खुशी देना और बहुत सारी चीजों का एक्सपीरियंस देना है. लेकिन आप ये सारी चीजें बिना गलत जेंडर पॉलिटिक्स के भी कर सकते.’
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