
हैदराबाद विश्वविद्यालय परिसर में हरित क्षेत्र को लेकर छात्र-पुलिस टकराव, सुप्रीम कोर्ट ने रोकी पेड़ों की कटाई
हैदराबाद, 4 अप्रैल (हमारे संवाददाता): तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में स्थित विश्वविद्यालय परिसर कई दिनों तक तनाव का केंद्र बना रहा। यहाँ राज्य सरकार द्वारा तैनात भारी पुलिस बल और छात्रों के बीच झड़पें हुईं। छात्र रंगारेड्डी जिले के कांचा गाचीबोवली गाँव में स्थित 400 एकड़ के शहरी जंगल को नष्ट किए जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे।
क्या है विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब पता चला कि तेलंगाना स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन (TSIIC) को इस हरे-भरे क्षेत्र को विकसित करने और नीलाम करने की अनुमति मिल गई है। दिलचस्प बात यह है कि यह ज़मीन कभी हैदराबाद विश्वविद्यालय की थी और पहले यहाँ चरागाह हुआ करती थी (तेलुगु में ‘कांचा’ का अर्थ चरागाह होता है)। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह परियोजना शहर के एक दुर्लभ हरित क्षेत्र को समाप्त कर देगी, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचेगा।
छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई
पिछले कुछ हफ़्तों से छात्रों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आंदोलन जारी था। इस दौरान पुलिस ने कई छात्रों पर लाठीचार्ज किया और कुछ को हिरासत में भी लिया। हालाँकि, आंदोलनकारियों के दबाव के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए तेलंगाना के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे “किसी भी पेड़ की कटाई न होने दें”। कोर्ट ने सरकार से पूछा—
- इस विकास परियोजना को लेकर इतनी जल्दबाज़ी क्यों?
- क्या पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) किया गया था?
अदालत ने स्पष्ट किया कि आगे के आदेश तक मौजूदा पेड़ों की सुरक्षा के अलावा कोई भी निर्माण गतिविधि नहीं होगी। साथ ही चेतावनी दी कि अगर नियमों का उल्लंघन हुआ, तो मुख्य सचिव जिम्मेदार माने जाएँगे।
आगे की कार्रवाई
अब सभी की निगाहें तेलंगाना सरकार पर टिकी हैं कि वह कोर्ट के आदेश का पालन कैसे करती है। वहीं, पर्यावरण प्रेमियों और छात्रों ने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उनका कहना है कि जंगल को स्थायी रूप से बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी होगी।