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<p style="text-align: justify;"><strong>Canada News: </strong>भारत ने कई बार कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. इसके अलावा भारत लगातार कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार से खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन की मांग का रहा है. </p>
<p style="text-align: justify;">हाल ही में एक सर्वे में कनाडा के लोगों की खालिस्तान आंदोलन के बारे में राय सामने आई है. इस सर्वे में उन्होंने बताया है कि वो खालिस्तानियों के बारे में क्या सोचते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सर्वे में सामने आई ये बात</strong></p>
<p style="text-align: justify;">लेगर 360 द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 72% कनाडाई मानते हैं कि खालिस्तानी आंदोलन जैसे अलगाववादी समूहों की गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त नीतियों को लागू किया जाना चाहिए . इसके अलावा 54% फीसदी ने कनाडा में आंदोलन की मौजूदगी का सीधा विरोध व्यक्त किया..'</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत की ओर से आंतरिक दखल के आरोपों पर दी ये राय</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इस सर्वे में लोगों से सवाल किया गया क्या खालिस्तानी गतिविधियों की वजह से सिख समुदाय को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इस सवाल पर 30 फीसदी लोगों का मानना है कि सिख समुदाय को खालिस्तानी गतिविधियों के चलते गैर-जरूरी जांच से गुजरना पड़ता है. जबकि 33 फीसदी लोगों ने इस बात से इनकार किया. वहीं, 37 फीसदी लोग इसको लेकर अनिश्चित हैं. कनाडा की सबसे बड़ी सिख आबादी वाले ओंटारियो ने प्रांतों में सबसे ज्यादा खालिस्तानी गतिविधियां सामने आती है, लेकिन फिर भी केवल 11% ओंटारियोवासियों ने इस आंदोलन का समर्थन किया. 2021 की जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि ओंटारियो, विशेष रूप से ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र में सिख लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. अकेले ब्रैम्पटन की 52% से अधिक आबादी दक्षिण एशियाई है. </p>
<p style="text-align: justify;">कनाडा की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत चुनावी प्रक्रिया में दखल देने वाले देशों में दूसरे नंबर पर है. वहीं, इस लिस्ट में चीन पहले स्थान पर है. बता दें कि खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा में तनाव बढ़ा गया था.</p>
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