
[ad_1]
Relations between Pakistan-Britain: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर हाल में ही ब्रिटेन के दौरे पर गए थे. उनका ब्रिटेन में जोरदार स्वागत हुआ. वो सैंडहर्स्ट स्थित रॉयल मिलिट्री अकादमी में क्षेत्रीय स्थिरीकरण सम्मेलन का भी हिस्सा बने थे.
उनके इस दौरे को लेकर पाकिस्तान की राजनीतिक विश्लेषक और लेखक आयशा सिद्दीकी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने मुनीर की यात्रा के पीछे का यूक्रेन, चीन और अमेरिका कनेक्शन बताया है.
‘दोनों मुल्कों का रिश्ता ऐतिहासिक’
असीम मुनीर के दौरे को लेकर नया दौर टीवी पर रजा रूमी ने कहा, “पाकिस्तान और ब्रिटेन के बीच बहुत नजदीकी सैन्य संबंध नहीं हैं लेकिन दोनों मुल्कों का ऐतिहासिक रिश्ता है. ये रिश्ता आजादी के समय से हैं और ये कभी भी खराब नहीं हुआ है. वहां पर आज भी पंजाब और पेशावर से अंग्रेजी फौज में लड़े लोगों की कब्रें हैं. ब्रिटिश काल के समय जो अलग-अलग क्षेत्रों की रेजीमेंट बनाईं, वह कनेक्शन भी आज तक है. इससे दोनों देश आपस में आज तक जुड़े हुए हैं.
‘पाकिस्तान को है ब्रिटेन की जरूरत’
उन्होंने आगे कहा, “पाकिस्तान अब पहले तरह की अमेरिका के लिए फ्रंटलाइन कंट्री नहीं है. वहीं, यूरोप में भी पाकिस्तान के रिश्ते दूसरे देशों के साथ अच्छे नहीं है. सिर्फ ब्रिटेन ही हैं, जिसके साथ पाकिस्तान के साथ रिश्ते अच्छे रहे हैं. ब्रिटेन एक ऐसा देश है, जिसने अमेरिका से रिश्ते में भी हमारे लिए खिड़की खोली है. यूक्रेन को पाकिस्तान की ओर से जो मदद गई है, उसमें भी ब्रिटेन ही मध्यस्थ बना है.’
‘पाकिस्तान निभा सकता है बड़ी भूमिका’
आयशा सिद्दीका ने यह भी बताया कि वर्तमान वैश्विक राजनीति विशेषकर यूक्रेन संकट में पाकिस्तान की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है. यदि यूक्रेन में शांति सेना भेजी जाती है, तो पाकिस्तानी सैनिकों की भूमिका अहम हो सकती है क्योंकि यूरोप के पास पर्याप्त सैन्य ताकत नहीं है. ब्रिटेन और पाकिस्तान के बीच यह चर्चा महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्रिटेन यूरोप के लिए अमेरिका से बातचीत करने में सक्षम है और पाकिस्तान के लिए भी एक महत्वपूर्ण सहयोगी है.
‘ब्रिटेन कम कर सकता है नाराजगी’
इसके अलावा, चीन के साथ पाकिस्तान के बढ़ते संबंधों के कारण अमेरिका की नाराजगी को कम करने में भी ब्रिटेन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. पाकिस्तान यह संदेश देना चाहता है कि चीन के साथ उसके संबंधों का मतलब अमेरिका से दूरी बनाना नहीं है और इसमें ब्रिटेन एक महत्वपूर्ण सहयोगी साबित हो सकता है.
[ad_2]