
भारतीय वायुसेना का बड़ा कदम: जम्मू-कश्मीर हाइवे पर इमरजेंसी लैंडिंग ड्रिल, पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच तैयारियां तेज।
नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (IAF) ने पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपनी रणनीतिक तैयारियों को और मजबूत करते हुए जम्मू-कश्मीर में पहली बार हाइवे पर इमरजेंसी लैंडिंग (Emergency Landing Drill) का अभ्यास शुरू किया है। यह अभ्यास युद्धकालीन परिस्थितियों में हाइवे को रनवे के रूप में इस्तेमाल करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
हाइवे पर इमरजेंसी लैंडिंग: क्या है प्लान?
भारतीय वायुसेना के अनुसार, जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) के वानपोह-संगम सेक्शन पर चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों (Chinook & MI-17 Helicopters) की ट्रायल लैंडिंग की जाएगी। यह पहली बार होगा जब जम्मू-कश्मीर में किसी हाइवे पर वायुसेना के विमान उतरेंगे। इससे पहले, उत्तर प्रदेश के गंगा एक्सप्रेसवे (Ganga Expressway) पर भी ऐसा अभ्यास किया जा चुका है।
ईएलएफ प्रोजेक्ट: युद्धकाल में हाइवेज बनेंगे रनवे
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) के साथ मिलकर भारतीय वायुसेना ने देश भर में इमरजेंसी लैंडिंग फैसिलिटी (Emergency Landing Facility – ELF) विकसित की है। जम्मू-कश्मीर में 3.5 किलोमीटर लंबी इस लैंडिंग स्ट्रिप का निर्माण 2020 में शुरू हुआ और 2024 में पूरा हुआ। अधिकारियों के मुताबिक, इस क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की अहम भूमिका
-
चिनूक हेलीकॉप्टर: अमेरिका निर्मित इस हेलीकॉप्टर की अधिकतम स्पीड 310 किमी/घंटा है, जिसमें 33 सैनिक या 24 स्ट्रेचर ले जाने की क्षमता है। यह भारी सैन्य उपकरणों को ट्रांसपोर्ट करने में सक्षम है।
-
एमआई-17 हेलीकॉप्टर: रूसी निर्मित यह हेलीकॉप्टर 35 सैनिकों को ले जा सकता है और प्राकृतिक आपदाओं (Natural Disasters) के दौरान राहत कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है।
जम्मू-कश्मीर बना पहला केंद्र शासित प्रदेश
इस अभ्यास के बाद, जम्मू-कश्मीर देश का पहला केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) बन जाएगा, जहां ELF का सफल परीक्षण किया गया है। इससे पहले, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में भी ऐसी सुविधाएं शुरू की जा चुकी हैं।
सुरक्षा के लिहाज से क्यों जरूरी है यह अभ्यास?
भारतीय वायुसेना का यह कदम सीमा पर बढ़ते तनाव (India-Pakistan Tension) और युद्धकालीन परिस्थितियों में वैकल्पिक लैंडिंग सुविधाओं (Alternative Landing Facilities) की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। इससे दुश्मन द्वारा एयरबेस को निशाना बनाए जाने की स्थिति में भी वायुसेना अपने ऑपरेशन जारी रख सकेगी।
निष्कर्ष: भारतीय वायुसेना की यह पहल देश की सुरक्षा व्यवस्था (National Security) को और मजबूती प्रदान करती है। जम्मू-कश्मीर में हाइवे लैंडिंग का सफल परीक्षण भविष्य में और अधिक रणनीतिक तैयारियों (Strategic Preparations) का संकेत देता है।