
टिम कुक नहीं मानेंगे ट्रंप की सलाह! Apple का भारत प्लान जारी रहेगा?
स्टीव जॉब्स का सपना और टिम कुक का विजन:
एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स ने कहा था – “Have the courage to follow your heart and intuition, because they somehow already know what you truly want to become.” (अपने दिल और अंतरआत्मा की सुनने की हिम्मत रखें, क्योंकि वे पहले से ही जानते हैं कि आप वास्तव में क्या बनना चाहते हैं।) आज टिम कुक, एप्पल के सीईओ, अपने गुरु और मार्गदर्शक जॉब्स के बताए रास्ते पर चल रहे हैं। इसीलिए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत में निवेश न करने की सलाह को टिम कुक शायद ही मानें।
ट्रंप ने क्यों दी Apple को भारत छोड़ने की सलाह?
कतर की राजधानी दोहा में एक बिजनेस समारोह के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने एप्पल के सीईओ टिम कुक को भारत में नया निवेश न करने की सलाह दी। ट्रंप ने कहा – “मैं टिम कुक से थोड़ा परेशान हूँ। एप्पल ने भारत में 500 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, लेकिन भारत का हाई टैरिफ अमेरिकी कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी करता है। मैं चाहता हूँ कि एप्पल अमेरिका में निर्माण पर फोकस करे।”
ट्रंप की यह टिप्पणी तब आई है जब एप्पल 2024 तक अपने 25% आईफोन का प्रोडक्शन भारत में शिफ्ट करने की योजना बना रहा है। क्या ट्रंप की सलाह से एप्पल का भारत प्लान प्रभावित होगा?
क्या Apple के लिए भारत छोड़ना आसान है?
ट्रंप चाहते हैं कि आईफोन का निर्माण अमेरिका में हो, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। भारत में एक आईफोन वर्कर का औसत वेतन 24,650 रुपये प्रति माह है, जबकि अमेरिका में यही कॉस्ट 2.46 लाख रुपये प्रति माह तक पहुँच जाता है। यानी, एक फोन की असेंबली का खर्च 30 डॉलर से बढ़कर 300 डॉलर हो जाएगा।
एप्पल 1,000 डॉलर के आईफोन पर 450 डॉलर का मुनाफा कमाता है। अगर प्रोडक्शन अमेरिका शिफ्ट होता है, तो यह मुनाफा 150 डॉलर तक गिर सकता है। ऐसे में, एप्पल को आईफोन की कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी, जिससे बिक्री पर बुरा असर पड़ेगा।
मेड इन अमेरिका आईफोन 3 गुना महंगे होंगे!
एक अनुमान के मुताबिक, मेड इन अमेरिका आईफोन की कीमत 3,000 डॉलर (करीब 2.5 लाख रुपये) तक पहुँच सकती है। क्या अमेरिकी ग्राहक इतने महंगे फोन खरीदने को तैयार होंगे?
चीन पर निर्भरता कम करना है Apple का लक्ष्य
एप्पल चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है, क्योंकि वर्तमान में 80% प्रोडक्शन चीन में होता है। भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाकर एप्पल सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन करना चाहता है।
भारत vs अमेरिका: वर्कफोर्स का तुलनात्मक विश्लेषण
देश | कार्यबल (करोड़ में) | औसत वेतन (प्रति माह) |
---|---|---|
चीन | 78 | ~35,000 रुपये |
भारत | 59 | ~24,650 रुपये |
अमेरिका | 17 | ~2.46 लाख रुपये |
इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि भारत और चीन में लेबर कॉस्ट अमेरिका के मुकाबले काफी कम है।