
*मकर संक्रांति 2025: एक पावन पर्व का महोत्सव**
**Makar Sankranti 2025: The Celebration of the Sun’s Transition**
New Delhi: Makar Sankranti 2025 का पावन पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है, जो भारतीय पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को आता है। इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जा रहा है, और इसके साथ ही देशभर में उत्सवों की धूम मच गई है।
### **मकर संक्रांति का महत्व**
Makar Sankranti का पर्व Hindu धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। इस दिन सूर्य अपने दक्षिणायन यात्रा को समाप्त करके उत्तरायण यात्रा आरंभ करता है, जिससे दिन और रात का संतुलन धीरे-धीरे बढ़ता है। इस पर्व को अलग-अलग प्रदेशों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि उत्तर भारत में ‘मकर संक्रांति’, महाराष्ट्र में ‘मकर संक्रांति’ या ‘तिल संक्रांति’, पंजाब में ‘लोहड़ी’, असम में ‘भोगाली बिहू’ और दक्षिण भारत में ‘पोंगल’। इस पर्व का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषि की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
### **मकर संक्रांति की परंपराएँ**
Makar Sankranti के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन तिल और गुड़ का विशेष महत्व होता है। तिल-गुड़ के लड्डू, चक्की, गजक और रेवड़ी जैसे मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और इन्हें अपने परिजनों और मित्रों में बांटा जाता है। इस पर्व का संदेश ‘तिल गुड़ घ्या, गोड गोड बोला’ अर्थात् ‘तिल-गुड़ खाओ और मीठे बोल बोलो’ होता है।
### **पतंगबाजी का उत्साह**
Makar Sankranti के दिन पतंगबाजी का भी विशेष महत्व है। खासकर उत्तर भारत के राज्यों में, लोग इस दिन पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं। आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से सज जाता है और ‘काई पो चे’ की आवाजें हर जगह गूंजती हैं। पतंगबाजी का यह उत्सव न केवल बच्चों बल्कि बड़ों के लिए भी अत्यंत रोचक होता है।
### **पोंगल (Pongal) का उत्सव**
दक्षिण भारत में Makar Sankranti को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पोंगल का अर्थ होता है ‘उबालना’, और इस दिन विशेष रूप से नई फसल के चावल, दूध और गुड़ से पोंगल का प्रसाद बनाया जाता है। पोंगल का उत्सव चार दिनों तक चलता है, जिसमें भोगी पोंगल, सूर्या पोंगल, मट्टू पोंगल और कन्नुम पोंगल शामिल हैं। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं और पशुओं को सजाते हैं।
### **लोहड़ी( Lohri) का उत्सव**
पंजाब और हरियाणा में Makar Sankranti को लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। लोहड़ी की रात को आग जलाकर उसके चारों ओर नृत्य और गान किए जाते हैं। इस दिन लोग रेवड़ी, मूंगफली और गजक का भोग लगाते हैं और आग में तिल डालते हैं। लोहड़ी का पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह फसल कटाई का पर्व होता है।
### **भोगाली बिहू(Bhogli Bihu) का उत्सव**
असम में Makar Sankranti को भोगाली बिहू के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग नई फसल का भोग लगाते हैं और विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाते हैं। रात को खेतों में मेजी जलाकर उसके चारों ओर नृत्य और गान किए जाते हैं। भोगाली बिहू का यह पर्व किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
### **खिचड़ी(Khichadi) का पर्व**
उत्तर प्रदेश और बिहार में Makar Sankranti को खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग चावल और दाल की खिचड़ी बनाते हैं और उसका भोग लगाते हैं। इस दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व होता है और लोग गंगा के तट पर पूजा-अर्चना करते हैं।
### **स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था**
Makar Sankranti के अवसर पर स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखा गया है। मेला क्षेत्र में अनेक चिकित्सा केंद्र और एम्बुलेंस सेवाएं उपलब्ध हैं, जो किसी भी आकस्मिक स्थिति में तुरंत सहायता प्रदान करती हैं। इसके साथ ही, मेला क्षेत्र में पुलिस और स्वयंसेवकों की टीम भी तैनात की गई है, जो श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
### **पर्यावरण और स्वच्छता अभियान**
Makar Sankranti के पर्व के दौरान प्रदूषण नियंत्रण और स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। विभिन्न स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे मेला क्षेत्र और अन्य धार्मिक स्थलों का वातावरण स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक बना रहे। इसके साथ ही, प्लास्टिक और अन्य प्रदूषणकारी सामग्रियों के उपयोग पर भी नियंत्रण रखा गया है, जिससे पर्यावरण को सुरक्षित और स्वच्छ बनाया जा सके।
### **आर्थिक और पर्यटन क्षेत्र में योगदान**
Makar Sankranti का आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आर्थिक और पर्यटन क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस आयोजन के दौरान लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आगमन से स्थानीय व्यवसायों और छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलता है। इसके साथ ही, मेला क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, जो स्थानीय कलाकारों और उद्यमियों को भी रोजगार का अवसर प्रदान करती है।
### **मकर संक्रांति 2025: एक निष्कर्ष**
Makar Sankranti 2025 का यह पवित्र पर्व आस्था, संस्कृति और एकता का प्रतीक है। इसमें शामिल होकर श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रयत्न करते हैं, बल्कि विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का भी आनंद लेते हैं। यह महोत्सव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। Makar Sankranti 2025 का यह महासेलाब, आस्था और उमंग का प्रतीक है, जो समस्त विश्व को भारतीय संस्कृति और परंपरा का अद्भुत स्वरूप दर्शाता है।
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