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US-India Relationship: अमेरिका में रहने वाले 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को अमृतसर में लैंड हुआ. इसको लेकर ‘सामना’ ने बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया. शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ने इसे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पीएम मोदी को दिया गया दूसरा झटका बताया. ‘सामना’ के संपादकीय में पीएम मोदी को राष्ट्रपति ट्रंप के शपथग्रहण में न बुलाया जाना पहला झटका बताया गया है.
सामना ने लिखा कि जब बुधवार (5 फरवरी) को पीएम मोदी महाकुंभ के पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे थे उसी समय अमेरिकी सैन्य विमान से 104 भारतीय अवैध प्रवासी अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचे. ये लोग बिना किसी कानूनी दस्तावेज के अमेरिका में रह रहे थे. इनमें से कुछ सिख थे, जबकि कुछ हिंदू. इन सभी का उद्देश्य अमेरिकी जीवन में स्थिरता और बेहतर अवसरों की तलाश था, लेकिन अब ट्रंप के इस कदम से इनका भविष्य अंधकारमय हो गया है. टेक्सास से 104 अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी ने इस घटना को और भी सुर्खियों में ला दिया. ये ट्रंप का कड़ा कदम था जिसका सीधा असर भारतीय नागरिकों पर पड़ा.
ट्रंप का ‘घुसपैठियों’ से मुक्ति का अभियान
ट्रंप का उद्देश्य स्पष्ट था अमेरिका को ‘घुसपैठियों’ से मुक्त करना. इस प्रक्रिया में केवल भारतीयों को ही नहीं बल्कि अन्य देशों के नागरिकों को भी अमेरिका से बाहर किया गया. ट्रंप के इस कदम ने कई सवाल उठाए हैं जिनमें प्रमुख सवाल ये है कि भारत से जीवनयापन की तलाश में गए ये लोग अब कहां जाएंगे. इन भारतीयों ने अमेरिका के कड़े सुरक्षा उपायों को पार करके वहां प्रवेश किया था, लेकिन अब ट्रंप प्रशासन के कड़े फैसले से उनका सपना टूट चुका है.
ट्रंप ने नागरिकता देने के नियमों में किया बदलाव
ट्रंप ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए नागरिकता देने के नियमों में बदलाव किया. पहले कई गर्भवती महिलाएं अमेरिका में बच्चे को जन्म देने के लिए जाती थीं और उनका बच्चा स्वाभाविक रूप से अमेरिकी नागरिक बन जाता था, लेकिन अब ट्रंप ने इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया. इस फैसले ने कई भारतीय माता-पिताओं के सपनों को तोड़ा जिन्होंने अपने बच्चों को अमेरिकी नागरिकता देने का सपना देखा था. ऐसे में अब वे अपने बच्चों को अमेरिकी नागरिकता नहीं दिला पाएंगे.
हमें चीन से सीखने की जरूरत: सामना
सामना ने लिखा, “ट्रंप ने मोदी को शपथ ग्रहण में नहीं बुलाया और अब भारतीय घुसपैठियों को बाहर निकाल दिया है, लेकिन मोदी ट्रंप से मिलने के लिए अमेरिका रवाना हो गए हैं, लेकिन ट्रंप ने मोदी का इंतजार किए बिना ही भारतीयों को अमेरिका से बाहर फेंक दिया. यह अमृतकाल में भारत की प्रतिष्ठा है. हमें चीन से भी थोड़ा सीखना होगा कि महाशक्ति और राष्ट्र की धाक क्या होती है. जैसे ही ट्रंप ने चीनी उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने का फैसला किया, चीन ने भी जैसे को तैसा प्रतिक्रिया दी. चीन अमेरिकी उत्पादों पर आयात कर लगाने के फैसले की घोषणा करके ही नहीं रुका, बल्कि उसने गूगल कंपनी की जांच करने की घोषणा कर दी, जिससे अमेरिका घबरा गया. जबकि भारत अमेरिका के इशारों पर चल रहा है.”
PM मोदी-ट्रंप की मुलाकात पर क्या कहा?
संपादकीय में आगे लिखा है, “कुछ लोगों का मानना है कि मोदी-ट्रंप की मुलाकात होगी और ट्रंप भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने का फैसला नहीं करेंगे, लेकिन इसके लिए ट्रंप मोदी से बड़ी व्यापारिक रियायतें और कीमतें वसूलेंगे और यह तय है कि अमेरिकी रक्षा उत्पाद भारत के गले में डाल दिए जाएंगे. एक तरफ अमेरिका अवैध अप्रवासियों को वापस भेज रहा है, वहीं दूसरी ओर नागरिकता नियमों को भी सख्त कर रहा है, लेकिन भारत में प्रधानमंत्री और उनकी सरकार महाकुंभ में फंसी हुई है. यह इस बात का संकेत है कि ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान का मार्ग भटक गया है. साधु-संतों और भक्तों को धर्म का काम करना चाहिए और राजनेताओं को राज्य चलाना चाहिए. साढ़े सात लाख भारतीयों को अमेरिका से वापस भेजा जा रहा है. अब वे और उनका परिवार जीने के लिए क्या करेंगे? अमृतकाल के दौरान भूख और बेरोजगारी से पीड़ित होने के कारण ये लोग अमेरिका गए. वहां भी प्रेसिडेंट ने पेट पर लात मार दी, मोदी-ट्रंप की मुलाकात में पेट की ये समस्या सुलझती है या नहीं, देखते हैं.”
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