सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने देश के विभिन्न हाईकोर्ट में नए जजों की नियुक्ति की सिफारिश को दी मंजूरी
नई दिल्ली, [तारीख]: भारत के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने देश के विभिन्न हाईकोर्ट में नए जजों की नियुक्ति की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दिल्ली हाईकोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट, तेलंगाना हाईकोर्ट, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट समेत कई अन्य उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
कॉलेजियम की बैठक और नियुक्ति प्रक्रिया
इससे पहले एक और दो जुलाई को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक हुई थी, जिसमें विभिन्न हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के प्रस्तावों पर चर्चा की गई। बैठक के बाद कॉलेजियम ने इन नियुक्तियों को मंजूरी दे दी।
कैसे बनते हैं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज?
भारत में न्यायपालिका में जज बनने की प्रक्रिया काफी सख्त और पारदर्शी है। जिला स्तर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जजों की नियुक्ति के लिए अलग-अलग योग्यताएं और प्रक्रियाएं निर्धारित हैं।
1. जिला न्यायाधीश (District Judge) बनने की प्रक्रिया
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भारत में जिला न्यायाधीश बनने के लिए उम्मीदवार को न्यायिक सेवा परीक्षा (Judicial Services Exam) पास करनी होती है।
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परीक्षा देने से पहले उम्मीदवार के पास कानून की डिग्री (LLB/LLM) होनी चाहिए और कम से कम 3 साल की वकालत का अनुभव होना आवश्यक है।
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परीक्षा पास करने के बाद उम्मीदवार को 3 साल तक जिला न्यायिक मजिस्ट्रेट (DJ) के रूप में कार्य करना होता है।
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इसके बाद ही वह जिला न्यायाधीश (District Judge) के पद के योग्य माना जाता है।
2. हाईकोर्ट के जज (High Court Judge) बनने की प्रक्रिया
हाईकोर्ट में जज की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217(1) के तहत की जाती है। इसके लिए निम्नलिखित योग्यताएं आवश्यक हैं:
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उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए।
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उसने किसी हाईकोर्ट में कम से कम 10 साल तक वकालत की हो या फिर कम से कम 10 साल तक जिला न्यायाधीश के पद पर कार्य किया हो।
हाईकोर्ट जज नियुक्ति की प्रक्रिया:
प्रस्ताव (Proposal): हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को जज नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा जाता है।
केंद्रीय मंत्रालय को भेजा जाता है प्रस्ताव: इसकी एक प्रति केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय (Ministry of Law and Justice) और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजी जाती है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश: केंद्रीय मंत्रालय प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजता है, जो कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System) के तहत अन्य वरिष्ठ जजों के साथ मिलकर नाम की समीक्षा करते हैं।
राष्ट्रपति की मंजूरी: कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किए जाने के बाद केंद्र सरकार प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति से मंजूरी लेती है।
नियुक्ति पत्र जारी: राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद जज की नियुक्ति की जाती है और आधिकारिक अधिसूचना जारी की जाती है।
3. सुप्रीम कोर्ट के जज (Supreme Court Judge) बनने की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत की जाती है। इसके लिए निम्नलिखित योग्यताएं आवश्यक हैं:
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उम्मीदवार भारत का नागरिक हो।
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उसने कम से कम 5 साल तक हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्य किया हो या 10 साल तक हाईकोर्ट में वकालत की हो।
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राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद ही नियुक्ति करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्ति की प्रक्रिया:
कॉलेजियम सिफारिश: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (CJI + 4 वरिष्ठतम जज) नए जज के नाम की सिफारिश करता है।
केंद्र सरकार की भूमिका: केंद्रीय कानून मंत्रालय इस सिफारिश को प्रधानमंत्री को भेजता है, जो राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।
राष्ट्रपति की मंजूरी: राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद नियुक्ति पत्र जारी किया जाता है।
क्या है कॉलेजियम सिस्टम?
भारत में जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम के तहत होती है। यह एक स्वतंत्र प्रक्रिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज ही नए जजों के नाम की सिफारिश करते हैं। इस प्रणाली को 1993 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले (Second Judges Case) के बाद मजबूती मिली।
कॉलेजियम सिस्टम पर बहस
हाल के वर्षों में कॉलेजियम सिस्टम पर कई बार सवाल उठाए गए हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें पारदर्शिता की कमी है, जबकि कुछ का कहना है कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए जरूरी है!
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा हाईकोर्ट में नए जजों की नियुक्ति की सिफारिश न्यायपालिका को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे देश के विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित मामलों का निपटारा तेजी से हो सकेगा और न्याय प्रणाली में सुधार होगा।