
IMD :मौसम विभाग ने समय से पहले मॉनसून आने की भविष्यवाणी की, 2009 के बाद पहली बार ऐसा होगा
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस साल समय से पहले मॉनसून (Early Monsoon 2025) आने की संभावना जताई है। यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो 2009 के बाद पहली बार मॉनसून भारतीय भूमि पर समय से पहले दस्तक देगा। इससे कृषि उत्पादन (Agricultural Output), जल संरक्षण (Water Conservation) और अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
मॉनसून का प्रगति पथ: IMD की ताजा अपडेट
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार को जारी अपने ताजा अपडेट में बताया कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून (Southwest Monsoon) बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भाग, अंडमान सागर, निकोबार द्वीप समूह और आसपास के क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले दो दिनों में निकोबार द्वीपसमूह (Nicobar Islands) में मध्यम से भारी वर्षा (Moderate to Heavy Rainfall) दर्ज की गई है।
मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) और अंडमान सागर (Andaman Sea)** में पश्चिमी हवाओं (Westerly Winds) का प्रभाव बढ़ा है। साथ ही, ‘आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन’ (OLR – Outgoing Longwave Radiation) में कमी दर्ज की गई है, जो बादल छाए रहने (Cloud Cover) का संकेत देती है। IMD ने स्पष्ट किया कि ये सभी स्थितियां मॉनसून के आगमन (Monsoon Arrival) के लिए अनुकूल हैं।
अगले 3-4 दिनों में मॉनसून के और आगे बढ़ने की संभावना
मौसम विभाग ने बताया कि अगले 3-4 दिनों में निम्न क्षेत्रों में मॉनसून की प्रगति (Monsoon Advancement) के लिए अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं:
-
दक्षिण अरब सागर (South Arabian Sea)
-
मालदीव-कोमोरिन क्षेत्र (Maldives-Comorin Area)
-
दक्षिण बंगाल की खाड़ी (South Bay of Bengal)
-
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman & Nicobar Islands)
-
मध्य बंगाल की खाड़ी (Central Bay of Bengal)
कब तक पहुंचेगा मॉनसून केरल?
IMD के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 27 मई तक केरल (Kerala Monsoon Arrival) पहुंचने की संभावना है। यदि ऐसा होता है, तो यह 2009 के बाद पहला मौका होगा जब मॉनसून समय से पहले (Early Monsoon) भारत पहुंचेगा। 2009 में मॉनसून 23 मई को केरल में दस्तक दिया था।
सामान्यतः, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 1 जून को केरल में प्रवेश करता है और 8 जुलाई तक पूरे भारत में फैल जाता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत (Northwest India) से वापस लौटना शुरू कर देता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह समाप्त हो जाता है।
सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान, अल नीनो का खतरा नहीं
अप्रैल में IMD ने 2025 के मॉनसून सीजन (Monsoon Season 2025) के लिए सामान्य से अधिक वर्षा (Above Normal Rainfall) का पूर्वानुमान जारी किया था। साथ ही, मौसम विभाग ने ‘अल नीनो’ (El Niño Effect) की स्थिति को खारिज कर दिया था, जो आमतौर पर भारत में कम वर्षा (Below Normal Rainfall) का कारण बनता है।
अल नीनो एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जो पूर्वी प्रशांत महासागर (Eastern Pacific Ocean) में समुद्र के तापमान के बढ़ने से उत्पन्न होती है। यह मॉनसून पैटर्न (Monsoon Pattern) को प्रभावित करती है और कई बार सूखे (Drought) की स्थिति पैदा कर सकती है।
मॉनसून का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
मॉनसून भारतीय कृषि (Indian Agriculture) के लिए जीवन रेखा (Lifeline) है। देश की 42% आबादी कृषि पर निर्भर है और यह GDP में 18% का योगदान देती है। अच्छी मॉनसून वर्षा से फसल उत्पादन (Crop Yield), किसानों की आय (Farmers’ Income) और खाद्य महंगाई (Food Inflation) पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा, मॉनसून जलाशयों (Water Reservoirs) और भूजल स्तर (Groundwater Level) को रिचार्ज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो पीने के पानी (Drinking Water) और बिजली उत्पादन (Hydropower Generation) के लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष: क्या इस बार मॉनसून राहत लाएगा?
यदि IMD का पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो 2025 का मॉनसून भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद (Economically Beneficial) साबित हो सकता है। समय से पहले मॉनसून के आने से खरीफ फसलों (Kharif Crops) की बुआई में मदद मिलेगी और गर्मी की लहर (Heatwave) से राहत मिल सकती है।
हालांकि, अत्यधिक वर्षा (Excessive Rainfall) से कुछ क्षेत्रों में बाढ़ (Floods) की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है, जिसके लिए सरकार और आपदा प्रबंधन टीमों को पहले से तैयारी (Disaster Preparedness) करनी होगी।
इस वर्ष मॉनसून की प्रगति (Monsoon Progress 2025) पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह न केवल किसानों (Farmers) बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए महत्वपूर्ण है।