
ओटावा: कभी कनाडा के प्रगतिशील नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो राजनीतिक पतन की कगार पर हैं। अपनी गिरती लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए ट्रूडो ने भारत विरोधी एजेंडा अपनाकर दोनों देशों के रिश्तों को खराब किया। उन्होंने खालिस्तानी दुष्प्रचार को भी हवा दी, लेकिन इससे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। कनाडाई मीडिया ने कहा है कि जस्टिन ट्रूडो सोमवार 6 जनवरी को लिबरल पार्टी के नेता पद से इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं। इस घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री के तौर पर उनका एक दशक लंबा कार्यकाल खत्म हो जाएगा।
ट्रूडो ने 2013 में लिबरल पार्टी की कमान उस समय संभाली थी, जब वह खुद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही थी। पार्टी कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी। ट्रूडो एक उद्धारक के रूप में उभरे और दो साल बाद 2015 में लिबरल पार्टी को सत्ता में ले आए। लेकिन जैसे-जैसे उनका कार्यकाल आगे बढ़ा, उनकी सरकार घोटालों और विवादों में उलझती गई। आज, ट्रूडो का नेतृत्व कई मोर्चों पर आलोचनाओं का सामना कर रहा है। आलोचकों का कहना है कि जैसे-जैसे आरोप बढ़ते गए और लोकप्रियता घटती गई, ट्रूडो ने घरेलू चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए कई विवाद खड़े किए। इसमें खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत को दोषी ठहराना भी शामिल है। जून 2023 में, खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर हत्या कर दी गई थी। बाद में ट्रूडो ने भारत पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया, जिससे कूटनीतिक विवाद छिड़ गया। कई टिप्पणीकारों ने कहा है कि भारत के खिलाफ ट्रूडो के आरोप कनाडा की राजनीति में चीन के हस्तक्षेप से ध्यान हटाने का एक प्रयास था। ट्रूडो और उनकी लिबरल पार्टी को चीन के प्रभाव से लाभ हुआ है। चीन की हरकतें सार्वजनिक जांच के दायरे में हैं। जस्टिन ट्रूडो के संभावित इस्तीफे की रिपोर्ट करते हुए कनाडाई अखबार ग्लोब एंड मेल ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रूडो की जगह कौन लेगा। ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से बताया गया है कि ट्रूडो ने हाल ही में अपने विश्वासपात्र और सरकार में वित्त मंत्री डोमिनिक लेब्लांक से चर्चा की है कि क्या वह अंतरिम नेता और प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के लिए तैयार होंगे।
Ye adami murkh hai