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Saudi Arab On Palestinian Displacement: सऊदी अरब ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की विवादास्पद टिप्पणी को खारिज कर दिया है, जिसमें फिलिस्तीनियों के विस्थापन को लेकर इशारा किया गया था. इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब News चैनल 14 पर एक इंटरव्यू के दौरान हॉस्ट ने गलती से फिलिस्तीनी राज्य के बजाय सऊदी राज्य का उल्लेख किया. नेतन्याहू ने इस पर मजाकिया प्रतिक्रिया दी, लेकिन इस हल्के-फुल्के बयान ने सऊदी अरब और अन्य अरब देशों में नाराजगी उत्पन्न कर दी.
इस टिप्पणी के बाद सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें नेतन्याहू की टिप्पणियों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करार दिया गया. सऊदी अरब ने अपने बयान में कहा कि यह फिलिस्तीनियों के साथ उनके ऐतिहासिक और कानूनी संबंधों का सम्मान न करने जैसा है. सऊदी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि नेतन्याहू की यह टिप्पणी सऊदी भूमि और फिलिस्तीन के बीच जुड़ाव के प्रति उनके कर्तव्यों को न समझने का उदाहरण है. मंत्रालय ने साफ किया कि सऊदी अरब फिलिस्तीनी राज्य को लेकर किसी भी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेगा.
#Statement | The Kingdom of Saudi Arabia appreciates the condemnation, disapproval and total rejection announced by the brotherly countries towards what Benjamin Netanyahu stated regarding the displacement of the Palestinian people from their land and the Kingdom values the… pic.twitter.com/ebj2sVHx4w
— Foreign Ministry 🇸🇦 (@KSAmofaEN) February 9, 2025
अन्य अरब देशों की निंदा
मिस्र और जॉर्डन जैसे देशों ने भी नेतन्याहू की टिप्पणियों की निंदा की. मिस्त्र ने इसे सऊदी संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया, जबकि रियाद ने इन टिप्पणियों के विरोध में अपने भाईचारे वाले देशों के समर्थन की सराहना की. इस बात पर जोर दिया गया कि सऊदी अरब और उसके सहयोगी अरब देश, फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के बिना इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने के किसी भी प्रयास को खारिज करते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप का विवादास्पद प्रस्ताव
यह स्थिति उस समय सामने आई जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक विवादास्पद प्रस्ताव रखा था. ट्रंप ने सुझाव दिया था कि अमेरिका गाजा पट्टी पर कब्जा कर सकता है और फिलिस्तीनियों को दूसरी जगह विस्थापित करके इसे “मध्य पूर्व का रिवेरा” बना सकता है. अरब देशों ने इस प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की थी, जिसे सऊदी अरब ने भी तुरंत खारिज कर दिया था.
ट्रंप ने यह भी दावा किया था कि सऊदी अरब इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण पर जोर नहीं दे रहा है. लेकिन सऊदी अरब ने इस बयान को भी खारिज कर दिया और दोहराया कि फिलिस्तीनी राज्य के बिना इजरायल के साथ कोई राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किए जाएंगे.
सऊदी अरब का रुख और रणनीतिक संदेश
सऊदी अरब ने स्पष्ट रूप से दोहराया कि वह हमेशा से एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के पक्ष में खड़ा रहेगा और इसके बिना इजरायल के साथ संबंध स्थापित करने की संभावना नहीं है. इस बयान ने सऊदी अरब के रुख को फिर से स्थापित किया, जो फिलिस्तीनी स्वतंत्रता के समर्थन में है. सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा कि, “कब्जा करने वाली चरमपंथी मानसिकता यह नहीं समझती है कि फिलिस्तीन के भाईचारे वाले लोगों और उस भूमि के साथ उसके कर्तव्यनिष्ठ, ऐतिहासिक और कानूनी जुड़ाव के लिए फिलिस्तीनी क्षेत्र का क्या मतलब है.”
गाजा संघर्ष और मौजूदा हालात
गाजा में चल रहे इजरायल-हमास संघर्ष के कारण क्षेत्र में भारी तबाही हुई है. 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर हमले के बाद से अब तक करीब 47,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं. इस आक्रमण के दौरान हमास ने 250 से अधिक इजरायली नागरिकों को बंधक भी बना लिया था, जिससे संघर्ष और बढ़ गया. इसके अलावा, गाजा पट्टी में इजरायल के आक्रमण से क्षेत्र में विनाशकारी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसने कई देशों को चिंतित किया है.
विवादास्पद टिप्पणियों को खारिज किया
सऊदी अरब ने अपने फिलिस्तीनी राज्य के समर्थन को स्पष्ट करते हुए इजरायल और नेतन्याहू की विवादास्पद टिप्पणियों को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अरब देशों ने भी इस मुद्दे पर सऊदी अरब का समर्थन किया है. यह विवाद मौजूदा मध्य पूर्व के तनाव को और बढ़ा सकता है, लेकिन सऊदी अरब ने अपने रुख को साफ कर दिया है कि वह फिलिस्तीनी स्वतंत्रता के बिना इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने के पक्ष में नहीं है.
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