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Kiswah the holy cover of Mecca : इस्लाम के गढ़ कहे जाने वाले देश सऊदी अरब के शहर जेद्दा में इस्लामिक आर्ट्स बिएनाले, 2025 का आयोजन होने वाला है. इसमें पवित्र काबा पर ढके जाने वाले पवित्र किस्वाह को प्रदर्शित किया जाएगा. जेद्दा में बिएनाले का आयोजन 25 जनवरी से 25 मई तक होने वाला है, जिसका शीर्षक ‘एंड ऑल दैट इज इन बिटवीन’ है. बिएनाले में इस्लामी और समकालीन कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि किस्वाह सऊदी अरब के मक्का शहर में मुसलमानों के पवित्र स्थान काबा को ढकने वाले कपड़े को कहा जाता है. इसे अरबी में किस्वत अल-काबा कहा जाता है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दिरीयाह बिएनाले फाउंडेशन ने बताया कि एक किस्वाह को इस्लामी कला में रचनात्मक उत्पादन का सर्वोच्च रूप माना जाता है. बिएनाले में किस्वाह का ऐतिहासिक विकास और उससे जुड़ी शिल्प कोशल को दिखाया जाएगा. बिएनाले में आने वाले लोग रेशम, सोने और चांदी के धागों से बनी किस्वाह की जटिल बुनाई और कढ़ाई को देख सकेंगे. बता दें कि बिएनाले में प्रदर्शित किया जाने वाला किस्वाह पिछले साल काबा पर ढका गया था.
क्या है किस्वाह की अहमियत?
किस्वाह का शाब्दिक अर्थ चोगा से है. यह एक जटिल कढ़ाई वाला काले रंग का कपड़ा है, जो पवित्र काबा का ढकता है. काबा इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल है, जो मक्का में मस्जिद अल-हरम के केंद्र में स्थित एक घनाकार पत्थर की संरचना है. वहीं, किस्वाह को काबा के चारों ओर लपेटने की परंपरा सदियों पुरानी है.
बताया जाता है कि काबा को पूरी तरह ढकने वाला पहला शख्स पूर्व-इस्लामी युग में यमन के हुमाय्युर का राजा तब्बू करब अस्वद था. वहीं, 8 हिजरी (629-630 ईस्वी) में पैंगबर मोहम्मद ने काबा को एक यमनी कपड़े से ढका था. साल 2020 में सऊदी के दैनिक अरब न्यूज में छपी रिपोर्ट ‘द किस्वाः द स्टोरी बिहाइंड द कवरिंग ऑफ द होली काबा’ के मुताबिक, मक्का की विजय के बाद पैगंबर ने पहले से इस्तेमाल हो रहे किस्वाह के बरकरार रखा और उसे तक बदला जब एख महिला ने उसे जला दिया था. इसके बाद पैगंबर मोहम्मद ने काबा को एक सफेद और लाल धारीदार यमनी कपड़े से ढक दिया. इसके बाद आए सभी राजाओं और सुल्तानों ने काबा को ढकने और देखभाल करने का काम जारी रखा है.
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