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Gaza news: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दशकों पुराने पश्चिम एशिया संकट को हल करने के लिए एक योजना प्रस्तावित की है. इस प्रस्ताव में अमेरिका के गाजा पट्टी पर कब्जा करने और यहां रहने वाले या विस्थापित फिलिस्तीनियों को पड़ोसी देशों मिस्र और जॉर्डन में शरण लेने के लिए भेजने की बात शामिल है.
ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, मैं मजबूती से मानता हूं कि गाजा पट्टी, जो इतने दशकों से मौत और विनाश का प्रतीक रही है, इसके आस-पास के लोगों के लिए बहुत बुरी है. विशेष रूप से जो लोग वहां रहते हैं, यह लंबे समय से एक बदकिस्मत जगह रही है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कही थी ये बात
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, हमें मानवीय दिलों के साथ रुचि रखने वाले अन्य देशों में जाना चाहिए. उनमें से कई ऐसे हैं जो ऐसा करना चाहते हैं और विभिन्न डोमेन का निर्माण करना चाहते हैं जो गाजा में रहने वाले 18 लाख फिलिस्तीनियों के कब्जे में होगा. इससे मौत और विनाश और स्पष्ट रूप से उन लोगों का दुर्भाग्य समाप्त हो जाएगा. अमेरिका गाजा पट्टी पर कब्जा कर लेगा और हम इसके साथ काम भी करेंगे.
उन्होंने आगे कहा, “हम इसकी जिम्मेदारी निभाएंगे और साइट पर मौजूद सभी खतरनाक बमों और अन्य हथियारों को नष्ट करने की जिम्मेदारी लेंगे. साइट को समतल करेंगे और नष्ट हो चुकी इमारतों को ठीक करेंगे. एक ऐसा आर्थिक विकास करेंगे जो क्षेत्र के लोगों के लिए असीमित संख्या में नौकरियां और आवास प्रदान करेगा.”
जानें क्या है ट्रंप की योजना
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, ट्रंप ने गाजा के पुनर्निर्माण की कल्पना एक ऐसे पर्यटन और व्यापार केंद्र के रूप में की, जिसे वह “मिडिल ईस्ट की रिवेरा” बनने की संभावना बताते हैं. वो खुद भी एक रियल एस्टेट डेवलपर थे. इसी वजह से ये चीज अक्सर उनकी भू-राजनीतिक सोच को प्रभावित करती रही है. वे जटिल कूटनीतिक चुनौतियों को भी प्रॉपर्टी डील और आर्थिक विकास के नजरिए से देखते हैं.
नुकसान की भरपाई में लगेगा लंबा समय
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने कहा है कि गाजा में हुए नुकसान की मरम्मत में काफी समय लगेगा. इस युद्ध की वजह से पानी और सफाई को लेकर भी दिक्कतें खड़ी हो गई हैं. शिविरों एवं आश्रय स्थलों के आसपास बढ़ते कूड़े-कचरे की चेतावनी दी गई है. वहीं, नष्ट हो चुके सौर पैनलों से निकलने वाले रसायनों और इस्तेमाल किए जा रहे हथियारों से मिट्टी एवं जल आपूर्ति के दूषित होने के खतरे की भी चेतावनी दी गई है. BBC की रिपोर्ट के अनुसार, विनाश के कारण 50 मिलियन टन से अधिक मलबा एकत्रित हो गया है.
यूएनईपी का कहना है कि युद्ध के मलबे और विस्फोटक अवशेषों को साफ करने में ही 21 वर्ष लग सकते हैं. कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा, “गाजा में पर्यावरणीय क्षति के बढ़ते प्रभाव के कारण वहां के लोगों को कष्टदायक और लंबी पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है.”
‘वैश्विक नेताओं को करना चाहिए गाजा के लोगों की इच्छा का सम्मान’
इस मुद्दे पर यूएन में फिलिस्तीनी प्रतिनिधि रियाद मंसूर ने कहा, “किसी दूसरे देश में फिलिस्तीनियों को बसाने से बेहतर हैं, उन्हें अपने घरों में ही फिर से बसा दिया जाए. जो गाजा के लोगों को बेहतर जगह भेजना चाहते हैं, वो उन्हें इजरायल में उनके असली घरों में वापस भिजवा दें. वहां पर कई अच्छी जगह हैं और उन्हें पाकर वो खुश भी खुश होंगे. उन्होंने आगे कहा, “फिलिस्तीन के लोग खुद चाहते हैं कि वो गाजा को फिर से स्थापित करें और वैश्विक नेताओं को उनकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए.”
अरब लीग ने की आलोचना
मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, फिलिस्तीनी अथॉरिटी और अरब लीग ने संयुक्त बयान जारी कर इसकी आलोचना की. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका ने ऐसा कोई कदम उठाया तो यह पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरे में डाल सकता है. इसके अलावा संघर्ष भी बढ़ा सकता है.
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