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Donald Trump On UNHRC And UNRWA: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अमेरिका को मानवाधिकार परिषद (UNHRC) और फिलिस्तीनियों के लिए मुख्य संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी (UNRWA) से बाहर करने का आदेश दिया है. साथ ही, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों, जैसे यूनेस्को में अमेरिका की भागीदारी की समीक्षा का भी निर्देश दिया है.
ट्रंप ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ठीक से नहीं चल रहा है, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस वैश्विक संगठन में जबरदस्त क्षमता है. उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिका की ओर से दी जाने वाली सहायता दूसरे देशों के तुलना में ज्यादा थी इसलिए उन्होंने सभी देशों से समान फंडिंग का आह्वान किया.
फंडिंग असमानताएं बनी वजह
व्हाइट हाउस के स्टाफ सचिव विल शर्फ ने कहा कि यह कदम संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों में अमेरिकी विरोधी पूर्वाग्रह के खिलाफ है. शर्फ़ ने कहा, “आमतौर पर, कार्यकारी आदेश विभिन्न देशों के बीच फंडिंग असमानताओं और अमेरिकी भागीदारी की समीक्षा का आह्वान करता है.”
UNRWA और अमेरिकी फंडिंग का विवाद
यूएनआरडब्ल्यूए (United Nations Relief and Works Agency) फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए प्राथमिक सहायता एजेंसी है, खासकर गाजा में विस्थापित लोगों के लिए. ट्रंप प्रशासन ने इससे पहले भी UNRWA के लिए फंडिंग में कटौती की थी और इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाया था.
2023 में, अमेरिका ने 300-400 मिलियन डॉलर की वार्षिक फंडिंग को निलंबित कर दिया था, जब इजरायल ने आरोप लगाया था कि UNRWA के कुछ कर्मचारी हमास के आतंकी हमलों में शामिल थे. हालांकि, जांच में तटस्थता-संबंधी मुद्दे पाए गए थे, लेकिन इज़राइल के आरोपों का कोई सबूत नहीं मिला था. ट्रंप ने पहले कार्यकाल में भी इजरायल समर्थक नीतियों के तहत UNRWA पर कड़ी आलोचना की थी.
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसले
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2017-2021) में UNRWA की फंडिंग में कटौती की थी और मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से अमेरिका को हटा लिया था. उन्होंने इजरायल के खिलाफ “पुराने पूर्वाग्रह” का हवाला देते हुए यह फैसला लिया था और संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की मांग की थी.
संयुक्त राष्ट्र संगठनों में भागीदारी
डोनाल्ड ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश से अमेरिका का संयुक्त राष्ट्र संगठनों में भागीदारी को लेकर रुख स्पष्ट होता है. यह कदम अमेरिकी विरोधी पूर्वाग्रह और इजरायल समर्थक नीतियों के आधार पर उठाया गया है, जिससे अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के बीच संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. अब यह देखना होगा कि इस फैसले का वैश्विक मंच पर क्या असर होता है और अन्य देश कैसे प्रतिक्रिया देते हैं.
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